पुरे बहादुरपुर गाँव में चुनावी माहोल छाया हुआ था. जो एक ग्लास में लुल हो जाते थे उन्हें भी बोतले मिलने लगी थी. शाम होते ही किसी न किसी उम्मीदवार के वहां दावत होती थी या फिर नचनियां और लौंडे डांस की पार्टियों का शोर-गुल रहता था. इस बार की सिट लेडीज़ अनामत की थी और सरपंच लेडिज को ही होना था. मुन्ना की चाची बालो ने भी फॉर्म भरा था. और वो भी खूब कुश्ती लड़ रही थी इस चुनाव में सरपंच बनने के लिए. और कैसे उसके पति ने ही बालो की चूत चुदवाई वो आप इस कहानी में पढेंगे.
शाम होते ही बालो सज धज के चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़ती थी. कभी महंगी साड़ी तो कभी रुआबदार पंजाबी सूट सलवार. पति हरीश ने ही डिजाइनर बनने का भी जिम्मा लिया था. माहोल काफी गरम था चुनाव की वजह से, कौन सा प्यादा कब बदल जाए अपनी चाल वो कह नहीं सकते थे.
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