दोनों तेज कदमो से खलिहान की तरफ चल पडे । अन्दर पहुंचते पहुंचते थोड़ा बहुत तो भीग ही गये । माया देवी का
ब्लाउज और पंडिताईन की पेटीकोट दोनों पतले कपड़ों के थे । भीग कर बदन से ऐसे चिपक गये थे, जैसे दोनो उसी में पैदा हुए हो । तभी पंडिताईन उन्हें तौलिया देती हुई धीरे से बोली -
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