राधा के पति की मृत्यु हुए करीब एक साल हो चुका था, उनका छोटा सा परिवार था, उनके कोई बच्चा नहीं हुआ तो उन्होंने एक 10 वर्ष की एक लड़की गोद ले ली थी, उसका नाम गौरी था. वो भी अब जवानी की दहलीज पर थी अब. गौरी बड़ी मासूम सी, भोली सी लड़की थी.
मैं राधा का सारा कार्य किया करता था. मैंने दौड़ धूप करके राधा की विधवा-पैंशन लगवा दी थी. मुझे नहीं मालूम था कि राधा कब मुझसे प्यार करने लगी थी. मैं तो उसे बस उसे आदर की नजर से ही देखा करता था.
Write a comment ...